HighLights
- पूजन व आरती के लिए राम मंदिर ट्रस्ट ने बनाया रोस्टर
- निर्धारित कर दी सभी अर्चकों की सेवा
- रामलला के साथ राम दरबार व परिसर में विराजे अन्य देवों की भी हो रही सुबह-शाम पूजा-आरती
लवलेश कुमार मिश्र, जागरण अयोध्या : रामजन्मभूमि पर पांच जून को प्रतिष्ठित हुए सभी देवों का रामलला के साथ ही राग-भोग होने लगा है और पूजन व आरती भी हो रही है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने नया रोस्टर तय कर दिया है।
रोस्टर के अनुसार ही सभी 20 अर्चकों की सेवा निर्धारित कर दी गई है। रामलला व राम दरबार का एक साथ राग-भोग कर श्रृंगार आरती करने के बाद सभी सातों पूरक मंदिरों में एक-एक पुजारी सेवा का दायित्व संभालते हैं। शाम व रात्रि में भी इसी प्रकार विभिन्न देवों की सेवा की जाती है।
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राम मंदिर के भूतल पर पहले अकेले रामलला ही विराजमान थे। पांच जून से राम मंदिर के प्रथम तल पर जहां राजा राम, माता जानकी, तीनों अनुजों व हनुमानजी के साथ विराजे हैं तो रामजन्मभूमि परिसर के परकोटे में निर्मित छह मंदिरों व शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की प्रतिमा स्थापित हुई है।
रामजन्मभूमि पर पहले से अधिक देवों के प्रतिष्ठित हो जाने के बाद इनके राग-भोग व पूजन-आरती का अतिरिक्त दायित्व भी अर्चकों पर आ गया है। यद्यपि इसके लिए ट्रस्ट ने पांच जून से पूर्व छह नए अर्चकों काे नियुक्त कर लिया था, लेकिन अभी यह संख्या कम पड़ रही। पहले से नियुक्त 14 अर्चकों के अलावा छह नए पुजारियों के आ जाने पर कुल संख्या तो 20 हो गई, पर रामलला व राम दरबार में पूजन-अर्चन में अधिक पुजारियों की आवश्यकता होने से कमी महसूस हो रही है।
सेवा में किसी प्रकार के व्यवधान से बचने के लिए ट्रस्ट ने रोस्टर तय कर दिया है। इसके मुताबिक दस-दस अर्चकों की दो पालियों में ड्यूटी लगाई जा रही है। वर्तमान में सुबह की पाली के एक अर्चक अवकाश पर हैं। पहली पाली की सेवा सुबह चार बजे से दोपहर 12:30 बजे तक होती है, तो दूसरी पाली में दोपहर 12:30 से शाम 4:30 बजे व शाम 6:30 बजे से रात्रि 10:30 बजे तक सेवा करनी होती है।
ऐसे सेवा करते हैं अर्चक
प्रथम पाली के पांच-पांच पुजारी पहले भोर में एक साथ रामलला व राम दरबार में जागरण व स्नान करा कर मंगला आरती संपन्न करते हैं, फिर भगवान को राग-भोग कर श्रृंगार आरती की जाती है। इसके बाद एक-एक पुजारी सभी सातों मंदिरों में पहुंच कर राग-भोग कर श्रृंगार आरती करते हैं।
जिस पुजारी की सेवा शेषावतार मंदिर में निर्धारित होती है, वही कुबेर टीले व वैकल्पिक गर्भगृह

